महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए निर्भया कोष के अंतर्गत अनेक अभिनव परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं :
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया कोष का मूल्यांकन करने; निर्भया कोष से धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रस्तावों की उपयुक्तता के बारे में निर्णय करने; और स्वीकृत स्कीमों की प्रगति की समीक्षा और मानीटरिंग करने के लिए नोडल मंत्रालय है ।
वन स्टॉप सैंटर
- चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता/मामला प्रबंधन, मनो-सामाजिक परामर्श, अस्थायी आश्रय ।
- विपदा-ग्रस्त महिलाएं स्वयं सैंटर में जा सकती हैं अथवा फोन पर समस्या बता सकती हैं ।
- बजट : 2016-17 में 75 करोड़ रुपये
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- 181 महिला हैल्पलाइन
- 181 महिला हैल्पलाइन 181 नम्बर के माध्यम से पूरे देश में हिंसा से प्रभावित महिलाओं को तत्काल और चौबीसों घंटे आपात सेवा प्रदान करती है ।
- महिलाएं चिकित्सा आपात स्थिति में तथा विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाओं और स्कीमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भी हैल्पलाइन पर फोन कर सकती हैं ।
- राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर संचालित मौजूदा हैल्पलाइनों अर्थात 1091/108 की अवसंरचना का प्रयोग करते हुए 181 नम्बर वाली महिला हैल्पलाइन को सर्वसुलभ बनाया जा रहा है । हैल्पलाइन से जुड़ी सभी मौजूदा सेवाओं, सरकारी सेवाओं, गैर-सरकारी संगठनों आदि को इस हैल्पलाइन से जोड़ दिया गया है ।
- अब तक महिला हैल्पलाइनें 21 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में परिचालित हैं । ये राज्य/संघ राज्य क्षेत्र हैं : आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ (संघ राज्य क्षेत्र), दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, पुद्दुचेरी, उत्तराखंड, मिजोरम, झारखंड, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मेघालय, हरियाणा, नागालैंड तथा पश्चिम बंगाल ।
- बजट 2016-17 में 25 करोड़ रुपये
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आपात प्रत्युत्तर सहायता प्रणाली
- गृह मंत्रालय 321.69 करोड़ रुपये की कुल लागत से आपात प्रत्युत्तर सहायता प्रणाली तैयार करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिसका उद्देश्य सभी आपात नम्बरों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग से समेकित करना है ।
- आपात प्रत्युत्तर सहायता प्रणाली के अंतर्गत विपत्ति की स्थिति में प्राप्त टेलीफोन का जवाब देने और विपदाग्रस्त व्यक्तियों को तुरत सहायता सुनिश्चत करने के लिए कम्प्यूटर द्वारा सहायता प्राप्त एक समेकित आपात प्रत्युत्तर मंच परिकल्पित है ।
- आपात प्रत्युत्तर सहायता प्रणाली को खतरे के बटन से जोड़ा जाएगा और यह बटन सभी मोबाइल फोनों में लगाया जाएगा, ताकि महिलाओं की आपात सेवाओं तक पहुंच को सुगम बनाया जा सके ।
केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति कोष
- गृह मंत्रालय ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357ए के अंतर्गत बनाई गई केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति स्कीम के लिए एकमुश्त उपाय के रूप में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को संवितरित करने के लिए 200 करोड़ रुपये की कोरपस निधि से केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति कोष की शुरूआत की है ।
- इससे अपराध के परिणामस्वरूप हुए नुकसान अथवा चोट के कारण पीड़ित अथवा उसके आश्रितों को (बलात्कार और तेज़ाब फेंके जाने के बाद जिंदा बची महिलाओं सहित) को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता मिलेगी ।
समेकित आपात प्रत्युत्तर प्रबंधन प्रणाली
- रेल मंत्रालय ने निर्भया कोष के भाग के रूप में 500 करोड़ रुपये की लागत से समेकित आपात प्रत्युत्तर प्रणाली की शुरूआत की है ।
- इससे 182 नम्बर पर सुरक्षा हैल्पलाइन, चिकित्सा सुविधा, आरपीएफ और पुलिस के साथ रेलवे के सुरक्षा नियंत्रण कक्षों को सुदृढ़ बनाकर 983 रेलवे स्टेशनों पर महिला यात्रियों को चौबिसों घंटे सुरक्षा प्रदान की जाएगी ।
अभय परियोजना प्रस्ताव
- आंध्र प्रदेश सरकार के अभय परियोजना प्रस्ताव का उद्देश्य ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करते समय महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है ।
- यह परियोजना निर्भया कोष से 138.49 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित है ।
चिराली - सदैव मित्र
- राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तावित चिराली - सदैव मित्र एक ऐसी स्कीम है, जिसके अंतर्गत 2016-17 से 2018-19 तक 3 वर्षों की अवधि के लिए कुल 2071 ग्राम पंचायतों को शामिल करते हुए राजस्थान के 7 जिलों में सामुदायिक कार्य दल गठित किए जाएंगे ।
- इसका उद्देश्य एक ऐसा अनुकूल वातावरण बनाना है, जिससे महिलाओं और लड़कियों को आज़ादी से घूमने-फिरने और अपनी इच्छानुसार, अपने समग्र विकास के लिए स्थान और अवसर चुनने में उन्हें सहायता मिलेगी ।
- निर्भया कोष से इस परियोजना की लागत 10.20 करोड़ रुपये है ।